नववर्ष को मनाए, सत्कार गीत गाए संस्कार को चलाकर, घर में गुढ़ी लगाए नववर्ष को मनाए, सत्कार गीत गाए संस्कार को चलाकर, घर में गुढ़ी लगाए
बनाईस हर नगरमा भवन, सरस्वती कंठभरण बनाईस हर नगरमा भवन, सरस्वती कंठभरण
पहला पहला दिन था और आँख लड़ गयी। मै सुन्न खड़ा रहा वो आगे बढ़ गयी। पहला पहला दिन था और आँख लड़ गयी। मै सुन्न खड़ा रहा वो आगे बढ़ गयी।
बनाने में किसी का तन गया, किसी का बचपन गया। बनाने में किसी का तन गया, किसी का बचपन गया।
खुश रहो सदा, चाहे रहो, जहाँ कहीं। खुश रहो सदा, चाहे रहो, जहाँ कहीं।
निग़ाह उसकी है तुझ पर हमेशा अपने जीवन में तू, क्या कर रहा है ..! निग़ाह उसकी है तुझ पर हमेशा अपने जीवन में तू, क्या कर रहा है ..!